| Feb 22, 2021, 6:49 PM (11 hours ago) |
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"सुुनो स्त्री"
सुनो स्त्री।
अधरों पर मौन
सजा लेना
तो बनी रहोगी
चहेती सबकी।
सुनो स्त्री।
नैनों को बरसात
मत बना लेना
कमजोर समझेगी
दुनिया सारी।
सुनो स्त्री।
बस फ़र्ज़ निभाना।
अधिकार मत माँग लेना
नहीं तो दुत्कार देगी संतान भी
तुम्हारी
सुनो स्त्री।
दर्द को सीने में छुपा
खुद को पत्थर बना लेना।
तो पसन्द आएगी
आदत तुम्हारी।
सविता वर्मा "ग़ज़ल"
(प्रस्तुत रचना मेरी मौलिक,अप्रकाशित व अप्रसारित हैं)
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