Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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जो दिल मेँ समा कर करीब हो गये

 

जो दिल मेँ समा कर करीब हो गये
वही लोग मेरे रक़ीब हो गये

 

दुखाते हैँ जो ज़ख़्म देके मेरा दिल
तुम्हारे लिये वो हबीब हो गये

 

लगाये थे हमने जो पेड आम के
कटे तो हमी को सलीब हो गये

 

अदीबोँ का आलम अजब है शहर मेँ
जिधर देखिये बस अदीब हो गये

 

किसे हाल दिल का सुनाता है 'शायर'
कि साये तलक तो नक़ीब हो गये

 

 

*** शायर¤देहलवी ***

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