Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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ज़ोश मेँ हाथ मिलाने वाले

 

 

ज़ोश मेँ हाथ मिलाने वाले
दोस्त होते हैँ डुबाने वाले

 

उड गये ख़ाब भी नीँदोँ की तरह
अब कहाँ लोग पुराने वाले

 

तुझको गहराइयोँ से क्या मतलब
रेत पर नाव चलाने वाले

 

एक तिनका है ये भी लेता जा
छोड मझधार मेँ जाने वाले

 

नफ़रतोँ से न मिलेगा कुछ भी
बेसबब बात बढ़ाने वाले

 

लाइये अब कहाँ से कैमीकल
दिल से तस्वीर मिटाने वाले

 

एक मैँ हूँ कि निशाना हूँ यहाँ
और सब तीर चलाने वाले

 

अब तेरी किस से शिकायत करते
सबकी तक़दीर बनाने वाले

 

तेरी मर्ज़ी हमेँ तू कुछ भी कह
हम नहीँ बज़्म से जाने वाले


बस रिवायत का भरम रखते हैँ
ख़ुद को फ़नकार बताने वाले

 

छोड परवाज़ पुरानी 'शाय़र'
अब तुझे पर नहीँ आने वाले

 

 

*** शायर¤देहलवी ***

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