लाज़िमी अब नक़ाब है साहब
वक़्त बेहद ख़राब है साहब
कल यहाँ पर किसी ने देखा है
ज़िन्दगी बस हुबाब है साहब
आप मैँ और बस ख़ुदा है यहाँ
फिर ये किस से हिजाब है साहब
वो बहुत चाहते हैँ सच बोलूँ
अपनी आदत खराब है साहब
आप ख़ुद को सवाल कहते हो
आपका क्या जवाब है साहब
आप क्या जानिये मुहौब्बत को
ये तो टेढ़ा हिसाब है साहब
मज़हबोँ मेँ दरार लाती हो
कौन सी वो किताब है साहब
साथ हासिल तेरा है 'शायर' को
वाक़ई इक सवाब है साहब
**** शायर¤देहलवी ****
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