Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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मुरव्वत नहीँ ये अदावत है प्यारे

 

मुरव्वत नहीँ ये अदावत है प्यारे
मगर नाम इसका मुहौब्बत है प्यारे

 

सफ़र मेँ तेरे साथ रह कर ये जाना
तुझे कब किसी की जुरूरत है प्यारे

 

गिला अब जिसे है मुझे ढ़ूँढता है
तुझे आज किससे शिकायत है प्यारे

 

हमारे दरूँ सिर्फ़ कडवाहटेँ हैँ
ये सब इक अदू की शरारत है प्यारे

 

हमेँ साथ मरने तलक ये न देगा
बहुत इस जहाँ मेँ शराफ़त है प्यारे

 

ज़ुरूरी नहीँ की तुझे याद आऊँ
किसे याद करने की फ़ुर्सत है प्यारे

 

यूँ टुकडे मुरव्वत के क्यूँ कर रहा है
ये क्या ज़ुल्म है क्या शक़ावत है प्यारे

 

किसी दिन तडफ़ कर तुझे आ मिलेगा
अगर उसके दिल मेँ मुहौब्बत है प्यारे

 

धुँआ ये कहीँ और से उठ रहा है
तेरा यार अब भी सलामत है प्यारे

 

वही दिल मेँ 'शायर' समाया हुआ है
जिसे दिल से ज़्यादा मसाफ़त है प्यारे

 

 

*** शायर¤देहलवी ***

 

 

 

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