Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

नज़र से दूर रहकर राबिता गहरा नहीँ होता

 

नज़र से दूर रहकर राबिता गहरा नहीँ होता
बिना जज़्बात का रिश्ता कोई रिस्ता नहीँ होता

 

हमेँ वो चाहता तो है मगर पर्दनशीनोँ मेँ
हमारा नाम लेकर वो कभी रुस्वा नहीँ होता

 

ख़ुशी की आड मेँ हर ग़म छिपा बैठा हूँ सीने मेँ
मगर इस राज़ का तुझसे सनम पर्दा नहीँ होता

 

बुलाते हैँ भँवर जिस वक़्त मुझको कूद जाता हूँ
भले उस वक़्त मेरे हाथ मेँ तिनका नहीँ होता

 

दुआ दिल की ख़ुदा सुन ले सलामत हो मेरा दिलबर
बहुत दिन हो गये उसका मुझे जल्वा नहीँ होता

 

उसे मजबूर जो कर दे हमारे पास आने को
हमारे रब्त मेँ शायद कि वो जज़्बा नहीँ होता

 

रवानी हर किसी की फ़ितरतोँ मेँ आ नहीँ सकती
समन्दर सूख जाता है मगर दरिया नहीँ होता

 

मुझे मालूम है हसना तेरी आदत मेँ है शामिल
किसी के दर्द पर हसना मगर अच्छा नहीँ होता

 

पुकारे लाख शिद्दत से ख़ुशी उस दश्त पैमा को
तेरा ग़म साथ है 'शायर' कभी तन्हा नहीँ होता

 

 

 

***शायर¤देहलवी***

 

Powered by Froala Editor

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ