सोहन सोना-चांदी व्यवसायी की दुकान पर नौकर था। साफ-सफाई का काम करते-करते कभी कभार छोटी-मोटी चांदी की अंगुठियों की सफाई भी कर लेता, एक दिन पत्नी को अंगुठियां देने लगा तो पत्नी भांप गई, इतनी सी तनख्वाह में इतनी जल्दी चांदी की अंगुठियां तो नही खरीदी जा सकती। ईश्वर से डरो, वह सब देख रहा है, यह कहते हुए उसने अंगुठियां सोहन को लौटा दी। मगर सोहन पर अपनी पत्नी की बातों का कोई असर नही हुआ। एक दिन पडौस की दुकान पर चोरी हो गई, इससे सभी दुकानदारों ने आपस में मंत्रणा करते हुए सी.सी.टी.वी. केमरा लगाने का निर्णय लिया। सोहन के मालिक ने भी दुकान में केमरे लगवा दिये और एक स्टीकर चस्पा कर दिया-‘‘आप कैमरे की नजर में है‘‘, बस अब मोहन का काम सिर्फ सफाई का ही रह गया। हमेशा एक दो अंगुठियों की सफाई करके घर लौटते वक्त सोहन फूला नही समाता था, वही सोहन आज मुंह लटकाये घर लौटा, पत्नी ने प्रश्नवाचक नजरो से उसकी तरफ देखा तो वह बोला -‘‘दुकान में कैमरे लग गये है और लिखा है- अब आप कैमरे की नजर में है‘‘। इस पर पत्नी बोली-‘‘कैमरे की नजर में तो आप आज से है, और ईश्वर की नजर में? केमरा चाहे खराब हो जाये या कभी आप उसकी नजर से बच भी जाओ, मगर ईश्वर की नजर हर वक्त आप पर है। आप उनकी नजरो से कभी नही बच सकते, जाने क्यूं इंसान यह भुल जाता है कि वह हर वक्त ईश्वर रूपी कैमरे की नजर में है।‘‘ सोहन के पास इसका कोई जवाब नही था।
शकुन्तला पालीवाल
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