1. कृष्ण सुदामा
प्रतीक मित्रता के
पर्याय है ये।।
2. नही फरेब
सिर्फ देना जो चाहे
अपना सब।।
3. कुछ भी नही
मांगे बदलें में ये
सच्ची दोस्ती।।
4. दुःख सहके
बदले में देती है
सिर्फ खुशियां।।
5. अपनापन
झलकता भीतर
नही दिखावा।।
6. दिल है पाक
नफरतों का नही
नामों-निशान।।
7. खुशनसीब
होते है जिन्है मिले
सच्चा दोस्त।।
8. सच्ची मित्रता
खुन के रिश्तों से
बढकर है।।
9. मिले जो मीत
उसे रखे संभाल
है ये नायाब।।
10. खोने के बाद
सिर्फ पछताना ही
रहता शेष।।
11. करे इज्जत
निभाये रिश्ता ये
पूरे दिल से।।
12. नेह की डोर
टुट कर जो जुडे
गांठ पडती।।
शकुन्तला पालीवाल
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