Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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मेरी सहेली

 

 

1. तन्हाई संग
करती रहू बातें
हरपल मैं।।

2. यही सहेली
मेरी तन्हाई और
अकेली मैं भी।।

3. लगे पहेली
मेरी बनी सहेली
नई-नवेली।।

4. एक सहेली
किताबें ये निराली
उसमें खोती।।

5. नया संसार
खुद में जीती रहूँ
हर-पल मैं।।

6. एक सहेली
संगीत कोई मेरा
लगे अपना।।

7. जिसकी धुन
हरपल सुनती
गुँजे कानों में।।

8. एक सहेली
कुदरत है मेरी
रहुँ जिसमें।।

9. जीना सिखाती
हर दिन पाठ मैं
नया सीखती।।

10. ये कुदरत
सच्ची सहेली मेरी
दुनिया मेरी।।

11. मैं फिर सोंचु
कहा हूँ अकेली मैं
संग-सहेली।।

12. जीवन-नैया
पार उतरूंगी मैं
साथ इसके।।

13. मेरी सहेली
कभी ना छोडेगी जो
हाथ मेरा ये।।

 


शकुन्तला पालीवाल

 

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