पराक्रम शौर्य था जग में वतन ऐसा ये अपना था ।
यहां पर थे भगत शेखर शिवा राणा भी अपना था ।
मगर अब क्यों नहीं है बल युवाओं में यहां वैसा ।।
जमाना ये भी अपना है जमाना वो भी अपना था।
। हमें आशीष मिलता है सदा हम प्यार पाते हैं ।।।
भारत मां के चरणों में सदा हम सर झुकाते हैं। ।
मगर हम चाहते उन सपूतों की करें पूजा।
जननी के लिए हंस कर जो अपना सर कटाते हैं
Writen by Shailendra Deepak Patel
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