Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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जब कबाडी़ घर से कुछ चीजे़ पुरानी ले गया

 

जब कबाडी़ घर से कुछ चीजे़ पुरानी ले गया

वो मेरे बचपन की यादें भी सुहानी ले गया.


इस तरह सौदा किया है आदमी से वक्त़ ने,

तज़रुवे दे कर वो कुछ उसकी जवानी ले गया.


दिन ढले जा कर तपिश सूरज की यूं कुछ कम हुई

अपने पहलू में उसे सागर का पानी ले गया.


आ गया अख़बार वाला हादिसे होने के बाद

बातों ही बातों में वो मेरी कहानी ले गया.


क्या पता फ़िर ज़िन्दगी़ में उससे मिलना हो न हो,

बसशरदये सोच कर उसकी निशानी ले गया.

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