02 octobar hetu
युग पुरुष का वंदन है
गांधी जयन्ती पर स्मरण
स्वंय में एक वंदन है,
सत्य अहिंसा के बल गौरव
मधुस्पर्श अभिनंदन है।
अंगेजों से असहयोग
बार बार आंदोलन ,
जेल यात्राएं ताड़ना
महके सो चंदन है।
आजादी का अहसास
आत्मसात का प्रयास,
क्षणिक न अशान्ति
बिखरे न क्रन्दन है।
आत्मबल से पाना
चिंता से चिन्तन,
दैनिक प्रार्थना सभा
जनकल्याण मंथन है।
कहीं आत्म श्रवण
कभी सत्य के प्रयोग,
व्यथा से व्यथित न
युग पुरुष का वंदन है।
स्वंय से विराग
देश से राग,
व्यथा की कथा न
मजबूत आत्मबल है।
टैगोर या सुभाष
दोनों को स्वीकार्य
अनेक की उंगली थाम
बापू जी बने संबल हैं।
आजादी मिलते ही
कांग्रेस खत्म करो
बापू को भूल जाओ
विराट व्यक्तित्व
राष्ट्रपिता का वंदन है।।
नितान्त मौलिक स्वरचित और अप्रकाशित है।
28/09/2021
शशांक मिश्र भारती संपादक देवसुधा हिन्दी सदन बड़ागांव शाहजहांपुर उ0प्र0 242401 मोबा. 9410985048/9634624150 Email shashank.misra73@rediffmail.com
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