पिता
शशांक मिश्र भारती
एक ऐसा शब्द
जो देता है सदैव
स्फूर्ति संरक्षण और
सांत्वना, कि
बढ़ो, कुछ करो
चिन्ता की कोई
बात नहीं
मैं हूँ न
जी हां
जन्मदाता का
यह कहना संतान को
कुछ करने बनने
की शक्ति देता ।
संरक्षण
प्रेरणा के साथ प्राणशक्ति
दे देता ।
कहीं डगमगाहट
संकोच से पहले
हाथ थाम लेता ।
भाग्यशाली वह
जिन पर यह रहता
उनसे पूछिए
जिनसे बचपन में
छिन गया ।
केवल शब्द
सुन सुन कर रह गए
अन्दर बाहर
दशको तक
कई अभाव सहे।
महत्व और स्थान से
जिसकी तुलना न
वह शब्द
व्यक्ति परिवार के लिए
अस्तित्व व्यक्तित्व है
पिता ।
उपरोक्त रचना मेरी अपनी नितांत मौलिक स्वरचित अप्रकाशित और अप्रसारित है।
07/03/2021
शशांक मिश्र भारती हिन्दी सदन बड़ागांव शाहजहांपुर 242401 उ0प्र0 मोबा0 9410985048
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