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Dr. Srimati Tara Singh
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पिता

 

पिता

    शशांक मिश्र भारती

एक ऐसा शब्द

जो देता है सदैव

स्फूर्ति संरक्षण और

सांत्वना, कि

बढ़ो, कुछ करो

चिन्ता की कोई

बात नहीं

मैं हूँ न

जी हां 

जन्मदाता का

यह कहना संतान को

कुछ करने बनने

की शक्ति देता ।

संरक्षण

प्रेरणा के साथ प्राणशक्ति

दे देता ।

कहीं डगमगाहट

संकोच से पहले

हाथ थाम लेता ।

भाग्यशाली वह

जिन पर यह रहता

उनसे पूछिए

जिनसे बचपन में

छिन गया ।

केवल शब्द

सुन सुन कर रह गए

अन्दर बाहर

दशको तक

कई अभाव सहे।

महत्व और स्थान से

जिसकी तुलना न

वह शब्द

व्यक्ति परिवार के लिए

अस्तित्व व्यक्तित्व है

पिता ।


     उपरोक्त रचना मेरी अपनी नितांत मौलिक स्वरचित अप्रकाशित और अप्रसारित है।

07/03/2021

शशांक मिश्र भारती हिन्दी सदन बड़ागांव शाहजहांपुर 242401 0प्रमोबा0 9410985048



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