वह
अलौकिक प्रतिभा
जिसके आदर्श पर चलकर
मनुष्य मान-सम्मान पाता है
है रोकती
मानव को दुष्कर्म करने से
प्रोत्साहित करती
सद्कर्म करने को
जब -
मनुष्य करना चाहता है
अनिष्ठ किसी का
तब
रोकती है एक बार अवश्य
मन-
जोकि एक चंचल जीव है
पलभर में बदलता है
लेकिन -
वह अलौकिक शक्ति
एक सी रहती है
आदि से अन्त तक
समर्थन करती सद्गुणों का
और-
विरोध करती अवगुणों का।
शशांक मिश्र ’भारती’
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