Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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अपनी बात

 

मैं
अपनी बात कहता हंू
हिन्दी में
वह अपनी कहते हैं अंग्रेजी में
तो दूसरे कहते हैं गुजराती और
मराठी में;
सभी कहने में लगे हुए हैं
अपनी-अपनी बात
न वह हमारी सुनते
और-
न हम उनकी सुनते बात
शायद-
कोई समझाने वाला भी नहीं
अरे! म्ूार्खांे-
एक सम्पर्क भाषा है
सभी का समाधान।

 

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