Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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बड़े प्रदेश

 

01-
बड़े प्रदेश
आंखों में खटकते
जोर ही जोर।
02-
राम का सेतु
सत्ता हित जोंकों का,
स्वार्थ हेतु।
03-
राम सेतु है
पराक्रम गौरव
विजय केतु।
04-
राम से युद्ध
परिणाम विपरीत
खायी मुंह की।
05-
कैसी उंगली
अन्धी सावन सी
संकेत मुझे।
06-
कुछ नही तो
नकारा अस्तिस्व
जन्में राम का।
07-
आस्था प्रमाण
आकश-पाताल हैं
उलझाओ न।
08-
और तो और
सपोला भी चीखता,
सापिन ही न।
09-
हलफनामा
परायों पर क्यो
राम अपने।
10-
जापानी ही तो
सदैव मिशाल बने
बढ़ के आगे।
11-
उगता सूर्य
दमकते चेहरे,
वही जापान।
12-
मुन्ने की हंसी
बिखराये संगीत
चारों ही ओर।
13-
नदी बहना
बालक का हंसना
सच दोनों ही।

14-
रात अँधेरी
तारे नहीं दिखते
हँसता तम।

15-
मिशन तब
कमीशन है अब
जन्मदिवस।
16-
भूले विचार
कल के अनुयायी
सत्ता के यार।
17 -
वह फंसते
जब दलदल में
लाते कानून।
18 -
ससद ठप्प
शोर-शराबा मार
जनता मूर्ख।
19 -
अपने हित
झगड़े भुलाये वो
संसद-नेता।
20-
काम न हुए
लाये हैं अध्यादेश
उत्तर कहां।

 

 

 

 

शशांक मिश्र ’भारती’

 

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