बसन्त
आने पर जिसके
करते हैं विभिन्न क्रीड़ाएं मोर
अपनी सुन्दर क्रीड़ाओं से
छोटे खग-fogग भी करते हैं मधुर शोर
कोमल पंखुड़ियों व नूतन पुष्पों पर
मंडराते हैं मधुकर
और-
मुग्ध हो जाते हैं सभी जन
तेरा सौंन्दर्य देखकर
हे बसन्त ऋतु!
प्यारी सुगन्ध ऋतु।
शशांक मिश्र ’भारती’
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