Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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भारत देश हमारा है

 

राष्ट्र हमारा कितना प्यारा
सारे जग से न्यारा है,
गंगा-जमुना पावन नदिया
सागर का इसमें किनारा है,
उत्तर-दक्षिण, पूरब-पश्चिम
अलग-अलग यहां वेश हैं
खाते-पीते बोलते अलग हैं
पर रहते हम सब एक हैं
देश का मुकुट हिमालय

उत्तर में प्रहरी सा दिखता है
दक्षिण-पश्चिम, पूरब-दक्षिण
बालकों सा सिन्धु मचलता है,
देवभूमि कहीं कर्मभूमि है
विश्वासघात की न हों बातें,
मानवता की बात छोड़िये
यहां पत्थर भी हैं पूजे जाते,
सदियों से गुन्जायमान यह
भारत देश हमारा है
जगदगुरु पद पर प्रतिष्ठित
हम सबको ही प्यारा है।।

 

 

शशांक मिश्र ’भारती’

 

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