1
भाषा के पुजारी
नित आगे ही मिलते हैं
साल भर कांवेन्टी यत
चाौदह सितम्बर को
स्वभाषा हित दिखते हैं।
2-
वे-
अनशन हो या धरना
सभी में आगे हैं
पुजारी राष्ट्रभाषा के
अंग्रेजी हित भागे हैं।
3ः-
आज की शिक्षा
यंू कांवेन्ट ने संभाली है
मैनेजर -प्रिंसिपल की भरी जेब
अभिभावक की हुई खाली है।
4-
वे-
आगे थे आगे हैं आगे रहेंगे
जब तक होता है मंथन
कर भ्रष्टाचार में बढ़ेंगे।
5-
वे-
सच्चे पड़ोसी का दायित्व
निभाये हैं,
पीटना तो आम बात
अंग विकृत तक करवाये हैं ।
6-
वे-
चलते नहीं दौड़ते भी हैं
सेवा के पथ पर नहीं
भ्रष्टाचार की सीढ़ी पर ।
7-
वे-
तंत्र के सच्चे पोषक कहलाते
चूसकर भी रक्त जन का
शोषक न कहलवाते।
8-
आधुनिकता की दौड़
भौतिकता का जोड़
सिर पे जूते रख भाग रही है
आधी रात तक र्पािर्टयां
दोपहर मे जाग रही हैं।
9-
वे-
स्वदेशी प्रेमी
पटेटो-चिप्स ही खाते हैं
देश का आलू भी
चिप्स हेतु विदेश भिजवाते हैं।
10-
इस धरा के वासी
भरत से बालकों की बात करते,
पर बलात अपने बालकों में
मम डेड अंकल ही भरते।
शशांक मिश्र ’भारती’
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