Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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भाषा के पुजारी

 

1
भाषा के पुजारी
नित आगे ही मिलते हैं
साल भर कांवेन्टी यत
चाौदह सितम्बर को
स्वभाषा हित दिखते हैं।

 


2-
वे-
अनशन हो या धरना
सभी में आगे हैं
पुजारी राष्ट्रभाषा के
अंग्रेजी हित भागे हैं।

 


3ः-
आज की शिक्षा
यंू कांवेन्ट ने संभाली है
मैनेजर -प्रिंसिपल की भरी जेब
अभिभावक की हुई खाली है।

 


4-
वे-
आगे थे आगे हैं आगे रहेंगे
जब तक होता है मंथन
कर भ्रष्टाचार में बढ़ेंगे।

 


5-
वे-
सच्चे पड़ोसी का दायित्व
निभाये हैं,
पीटना तो आम बात
अंग विकृत तक करवाये हैं ।

 

 

6-
वे-
चलते नहीं दौड़ते भी हैं
सेवा के पथ पर नहीं
भ्रष्टाचार की सीढ़ी पर ।

 


7-
वे-
तंत्र के सच्चे पोषक कहलाते
चूसकर भी रक्त जन का
शोषक न कहलवाते।

 

 

8-
आधुनिकता की दौड़
भौतिकता का जोड़
सिर पे जूते रख भाग रही है
आधी रात तक र्पािर्टयां
दोपहर मे जाग रही हैं।

 

 

9-
वे-
स्वदेशी प्रेमी
पटेटो-चिप्स ही खाते हैं
देश का आलू भी
चिप्स हेतु विदेश भिजवाते हैं।

 

 

10-
इस धरा के वासी
भरत से बालकों की बात करते,
पर बलात अपने बालकों में
मम डेड अंकल ही भरते।

 

 

शशांक मिश्र ’भारती’

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