शशांक मिश्र भारती
कितना प्यारा कितना न्यारा
छब्बीस जनवरी पर्व हमारा
गणतंत्र दिवस इसको कहते
श्रद्धा सुमन हैं अर्पित करते
आते इसके हम हर्षित हो जाते
गांव. गांव आनन्द मनाते
कितना प्यारा सौभाग्य हमारा
गणतंत्र दिवस त्यौहार हमारा
संविधान लागू हुआ है भाई
छब्बीस जनवरी को ही हमारा
सारा देश इसे है मनाता
एकता भाव सबमें दर्शाता
यह ऐतिहासिक पर्व हमारा
मेरे देश का सम्मान है प्यारा
कितना प्यारा कितना न्यारा
छब्बीस जनवरी पर्व हमारा।
फिर बसन्त ऋतु आई
मन में उठ रहे असंख्य भाव हैं
कोयलिया गाती सुरभि सार है
मदमत्त भौंरे झूम रहे हैं
खगन्विहग सभी विहंस रहे हैं।
ऋतु ठण्ड की बीती है कहानी
सुन्दर बसन्त की गूंजी बानी
पुनः वर्ष यह लेकर आ गया।
झूमी लतायें सभी को भा गया।
आनन्द मग्न झूम रहे सब
पीत वस्त्र धारी छाया रब।
चहुं ओर सुगन्ध बिखराई
फूल खिले हर कली मुस्काई।
सुखद धूप की अनुभूति आई
प्यारी बसन्त ऋतु सुखदाई
मधुरिमा सा बासन्ती मौसम
लेकर फिर बसन्त ऋतु आई।
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