भैया बोला प्यारी मम्मी
घर में एक पेड़ लगाओ ना
बड़े.बड़े पेड़ न दिखते
एक छोटा पौधा उगाओ ना
जब छुट्टी में घर आऊंगा
नल से पौधे में पानी डालूंगा
आप सिर्फ पौधे को लगा देना
मैं बड़ा उसे कर जाऊंगा
यदि तुम्हारे मन में हो दुविधा
मां मुझको अब बतलाओ ना
मीठी लोरी जैसे हो सुनाती
वैसा ही अब समझाओ ना
मत समझो मां! मैं बच्चा हंू
मन से बड़ा और सच्चा हंू
पेड़ों में मां जीवन होता है
दुख पहुंचे तो ये रोता है
मां यदि हम पेड़ लगायेंगे
दिन निश्चय अच्छे आयेंगे
सूखे गरमी से राहत मिलेगी
पेड़ों से मिलने बादल आयेंगे
बादल करेंगे गड़.गड़गड़
वर्षा होगी झम.झम.झम
मां मैं प्रसन्न हो जाऊंगा
आंगन में नाव चलाऊंगा
बस मम्मी मेरी बात मानकर
घर में एक पेड़ लगा देना
बड़े बड़े पेड़ न दिखते
एक छोटा पौधा उगा देना।
शशांक मिश्र ’भारती’
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