Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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चुनावी मौसम की क्षणिकाएं

 

शशांक मिश्र ’भारती’

 

 

01
आजकल-
राजधर्म भ्रष्टाचार
जन्म प्रमाण या मृत्यु
सुविधा षुल्क आधार।

02
देश की स्थिति
शायद यूं कमजोर है
घोषणायें गरीबों की,
पर अपनी हटाने का जोर है।

03
आज-
समय बदला
गलियारे का टट्टू
ताजपोषी किए।
04
वे-
अत्यधिक आगे हैं,
शायद
चप्पल हाथ में लेकर
भागे हैं।

05-
वे-
उगे थे घूरे पर
उठाकर रख दिया दीवार पर
आज आंखें दिखा रहे हैं।

06-
वे-
गिरे,लेकिन जमीन पर नहीं;
जमीर से
अपने व अपनों के लिए।

07-
वे-
अपने प्रत्येक कार्य हित
प्रतिक्षण आगे हैं,
अपराधी हैंकिन्तु-
मिटाने अपराध ही भागे हैं।

08-
वे-
आज तक हारे नहीं,
इसीलिए-
आष्वासन देने तक को
आज तक पधारे नहीं।
09-
वे-
त्याग की अपूर्व मूर्ति कहलाते,
सड़क हो या संसद
सहे सभी जगह जाते।

 

 

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