शशांक मिश्र ’भारती’
01
आजकल-
राजधर्म भ्रष्टाचार
जन्म प्रमाण या मृत्यु
सुविधा षुल्क आधार।
02
देश की स्थिति
शायद यूं कमजोर है
घोषणायें गरीबों की,
पर अपनी हटाने का जोर है।
03
आज-
समय बदला
गलियारे का टट्टू
ताजपोषी किए।
04
वे-
अत्यधिक आगे हैं,
शायद
चप्पल हाथ में लेकर
भागे हैं।
05-
वे-
उगे थे घूरे पर
उठाकर रख दिया दीवार पर
आज आंखें दिखा रहे हैं।
06-
वे-
गिरे,लेकिन जमीन पर नहीं;
जमीर से
अपने व अपनों के लिए।
07-
वे-
अपने प्रत्येक कार्य हित
प्रतिक्षण आगे हैं,
अपराधी हैंकिन्तु-
मिटाने अपराध ही भागे हैं।
08-
वे-
आज तक हारे नहीं,
इसीलिए-
आष्वासन देने तक को
आज तक पधारे नहीं।
09-
वे-
त्याग की अपूर्व मूर्ति कहलाते,
सड़क हो या संसद
सहे सभी जगह जाते।
Powered by Froala Editor
LEAVE A REPLY