दीपकों के संग
आभा के रंग
लेकर दीवाली के
दिन आ गये
बरसात के अन्त में
शरद के प्रारम्भ में
नवीन स्वप्नों को ले
खुशियों के दिन आ गये।
मन में जागी क्रान्ति
वायु में आयी है शान्ति
नूतन रंगों के साथ
भवनों में छा गये।
हरियाली को लाये संग
चहकाया है अंग-अंग
जलने से असंख्य दीप
बन जाये एक रंग
दीपों के दिन आ गये
तम हटाने के लिए
गलियो चमकाने के लिए
प्रकाश फैलाकर
अन्धकार भगाने के लिए
दीवाली के दिन आ गये।
दीपावली का पर्व
दीपों का रंग
सुन्दर आभा के संग
सुदीपों सा तम विरोधी
हमको भाया
अंधेरा भगाकर
परस्पर मिलाकर
यह सभी को भाया
गलियां सजायीं
अट्टालिका खिलायी
दीपों को सजाया
असत्य पर सत्य की
विजय का
स्मरण कराने दीपों का
पर्व आ गया
अयेाध्या का दृश्य
राम विजय
दुखियों का उद्धार
लेकर दीपावली का पर्व
आ गया।
शशांक मिश्र ’भारती’
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