एक शहर के दो लोग निकलकर दूसरे शहर में गए। एक के पास त्रिशूल था दूसरे के पास तलवार।
दोनों एक जगह से अलग-अलग रास्तों से गुजरकर एक ही स्थान पर मिलने का वायदा कर अपना कार्य करने लग गये।
तलवार वाले ने जाकर तलवार वालों को त्रिशूल वालों के विरुद्ध भड़काया और जिधर त्रिशूल वाला गया था उधर उसने त्रिशूल वालों को तलवार वालों के विरुद्ध भड़काया।
दोनों अपना-अपना काम करके एक जगह पर मिल गए और पुनः अपने शहर लौट आए।
दूसरे दिन शहर में दंगा हो गया। अनेक बच्चे, युवा और वृद्ध मारे गये। शहर में तीन दिन तक कफ्र्यू लगा रहा। प्रशासन को कड़े प्रयत्नों के बाद पता लगा कि दंगें भड़काने वाले दो व्यक्ति थे।
जब कफ्र्यू हटने के बाद शहर की जनता को यह पता लगा कि दंगे को भड़काने वाले दो ही व्यक्ति थे। तो लोगों का सिर लज्जा से झुक गया। शहर में पुनः शान्ति का वातावरण बन गया।
शशांक मिश्र ’भारती’
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