Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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जिन्दगी जीते हुए देखे हैं पशु-पक्षी भी

 

जिन्दगी जीते हुए देखे हैं पशु-पक्षी भी
पर निर्दयी मनुष्य ही मचाता कोहराम है।


अन्य प्राणियों में वर्ग विभाजन न शशांक
मानव बनाये जसवीरएरहीम तो कहीं राम है।।


बालक का जन्म लेना ही संघर्ष का नाम है
हर गली.हर जगह यह बात आम है।


कुछ जी रहे हैं दामन में दाग लगाकर
कुछ दिये कर जीवन ही बदनाम हैं।


कभी रुका न है जीवन यात्रा का सफर
मोड़ आते गये बनी उलझनें अर्द्धविराम हैं।


पिसते रहे जीवन भर जिनको हम सब
कल तक नमक हलाल थे अब नमक हराम हैं ।

 

 

 

शशांक मिश्र ’भारती’

 

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