शशांक मिश्र भारती
माँ सरस्वती वीणा वादिनी
जयतु हे मां हंस विराजनी,
जय हो शारदे ज्ञान दायिनी
मां पद्म हंस की वाहिनी। मां सरस्वति.........................
ऋद्धि-सिद्धि की दायिनी मां
विवेक शून्य की विनाशिनी,
देवि ! सुखद हास हो देती
हृदय में हर्ष विराजिनी। मां सरस्वति......................
ललित कला को सुर देती
प्रणवता की हो विकासिनी,
संगीत को लयबद्ध करती
हे चर - अचर में वासिनी। मां सरस्वति.....................
जड़ता में ज्ञान को भरती
मां प्रखर बुद्धि प्रदायिनी,
श्वेत वसन कमलासना
मां जयतु वीणा कर धारिणी। माँ सरस्वति..................।
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