Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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मूर्ख

 

एक देश में समूहों का नेतृत्व दो दलकर रहे थे। एक का प्रमुख था गनपत और दूसरे का रमपत। एक का शासन पूरब में तो दूसरे का पश्चिम में था।

सभी कुछ ठीक-ठाक चल रहा था। जनता अपने में खुश,शासक अपने में। धीरे-धीरे चुनावों समय आया। शासक दलों को चिन्ता हुई सत्ता कैसे बनी रहे। जनता के बीच अन्य दल न बनें। एक स्थान पर दोनों मिले, कुछ देर गप-शप की। फिर रणनीति बनी। दोनों अपनें-अपने क्षेत्रों में गये। अपने-अपनें कुछ विशेष लोगों को विशेष काम सौंप दिया।

कुछ दिनों के बाद जातीय संघर्ष फैल गया। सैंकड़ों मारे गये। घायलों की गिनती न थी। जनता चीख पड़ी। सहायता हेतु पुलिस बल भेजे गये। दोनों ओर से एक-दूसरे पर दोष मढ़ दिया गया। पीड़ित जनता के लिए राहत की घोषण़ा हुई।

समय पर चुनाव हूए। गनपत और रमपत फिर जीते। उनकी सरकारें बन गईं। दोनों प्रसन्न थे। जनता को पुनः मूर्ख बना दिया गया था।

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