Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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नवर्ष पर केन्द्रित रचनाः-

 


happy new year

मुक्तकः-
शशांक मिश्र ‘‘भारती’’

वर्ष नया मनाने से पहले स्वंय नया बन जाना होगा,
जो अब तक अपना कहते, पहले उन्हें अजमाना होगा।
गली-गली आतंक फैलाते संसद तक कैसे पहुंच गए,
ऐसी नापाकी करतूतों का मायाजाल हटाना होगा।।

आतुर खिलने को कलियां खिल जाने दो,
मिलन भाव भर रखा तो मिल जाने दो।
आने वाले अभ्यागत के स्वागत हित बढ़ो-
छिन्द्रवशेष-शेष वसन में जल जाने दो।।

वर्ष नया इस बार शीघ्र ही आने वाला है,
होंठों पर नयी मुस्कान सभी के लाने वाला है।
घर-घर गलियों में गूंजेगा इसका शोर
नव उत्साह संकल्प धरें, यह बतलाने वाला है।।

वर्ष नया इस बार देखिये आने वाला है,
हर्ष-उमंगे चारों ओर ये फैलाने वाला है।
खुश होकर के सब लोग बधाईयां देंगे-
नूतन उल्लास सभी में यह जगाने वाला है।

वर्ष नया हम सभी सदैव ही रहे मनाते है,
क्या उद्देश्यों को भी इसके पूरा करवाते हैं।
तिथिबदलने कलैण्डर हटजाने से कुछ न होता-
बीते वर्षों सी गलतियां जब हम दुहराते हैं।।

चन्द्र मुखी सी असंख्य कथायें चन्द्रयान से बदल गयीं,
पर्व-त्यौहार प्रतिवर्ष मनाये क्या कुछ समझ भयी।
हैप्पी न्यू ईयर कहने भर से कुछ नहीं है हो सकता-
जब तक पूर्वाग्रह त्याग मनोदशा हो नहीं नयी।।

त्याग-त्याग की बात कह देने भर से क्या हो सकता है,
लोभ आवरण अहं प्राण जब नहीं सो सकता है।
बीते वर्ष का मुल्यांकन-आत्मनिरीक्षण नहीं हुआ तो-
यूंही नववर्ष मनेगा परिवर्तन क्या हो सकता है।

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