Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

निर्णय

 

एक दिन की बात है। घृणा और प्रेम में बहस छिड़ गई।
बड़ा कौन है तू या मैं

घृणा ने अपना घृणित रूप दिखलाया। जमकर कोसा। गालियां बकीं। प्रत्युत्तर में प्रेम मात्र मुस्कराता रहा
अन्ततः घृणा ने प्रेम का महत्व स्वीकार कर अपनी हार मान ली।
निर्णय हो चुका था।

 

 

 

शशांक मिश्र ’भारती’

 

Powered by Froala Editor

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ