Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

पैसे का कमाल देखिये

 

पैसे का कमाल देखिये
गरीब का बुरा हाल देखिये।


चीर स्वंय जो उतारे
उस द्रोपदी को देखिये।


खड़ -खड़ पत्तों से होती
धूल -आंधियों की देखिये।


सो रहे क्यों चादर तान
हलाहल प्रदूषण का देखिये।


भागम भाग जीवन में जन
लक्ष्य को बही नदी देखिये।


भाप और विज्ञान से अंधे
घुड़-दौडी विष्व को देखिये।

 

 

शशांक मिश्र ’भारती’

 

Powered by Froala Editor

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ