शशांक मिश्र ’भारती’
शत कोटि जन जिस धरती पर
वह स्वर्णिम देश हमारा है
सभी में समरसता पहुंचाये
मनभावन स्वराष्ट्र हमारा है।
विविध जाति धर्मों का मेला
भाषा-बोलियों का भी रेला
सुबह जहां पहले हुई थी
वह पावन देश हमारा है।
शीश मुकुट शिवालय जिसका
सागर चरण पखारे जिसका
सुन्दर राग सुनाये मल्लिका
वह पावन देश हमारा है।
जहां की संस्कृति गौरवशाली
अक्षुण्यता दिखती है निराली,
अध्यात्म गुरु विश्व का जो
वह पावन देश हमारा है।
नानक बुद्ध जहां पर जनमे
कंल राम-कृष्ण थे यहां पर झूले,
सुबह का राग शंख है गाता
वह पावन देश हमारा है।
जीवन दायिनी जहां पे नदियां
अमृत जल मां कहायें नदियां,
सन्देश विश्व को देता कब से
वह पावन देश हमारा है।
साहित्य संस्कृति खेल सभी में
स्थापित कीर्ति प्रतिमान कभी से
ज्ञान विज्ञान सभी में आगे
वह पावन देश हमारा है।।
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