कैसा है
मौसम सुहावना
बहती है शनैः शनैः
शीतल धवल अमल
मधुर गीत गाती हुई,
बगीचों म
फूलों की सुगन्ध लेकर
पवन।
लाती है अपने साथ मेघों को
पर-
उमड़-उमड़कर
सर-सर जल को बरसाती है,
चलती है-
नभ से भू- तक
सर-सराती हुई
कंप-कंपाती हुई
निरन्तर-
अस्थिर, अथक
हवा।
शशांक मिश्र ’भारती’
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