आज-
उस कालिमा को मिटा देने के लिए
संकल्प लेना है मुझे
जो व्याप्त हैं
हमारे समाज में,
दहेज, अलगाव, सम्प्रदायवाद के रूप में
निकट होते हुए भी दूर किये है
हमें समाज के विकास
के अवसरों से,
जिससे-
क्रान्ति आयेगी देश और
समाज में
विकास होगा
हमारी संस्कृति-सभ्यता का
नया परिवेश बनेगा,
लेकिन-
जब संघर्षरत रहकर
हम अपने संकल्प को पूर्ण कर सकेंगे।
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