Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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संयुक्त परिवार एक सुखद अनुभव

 

संयुक्त परिवार एक ऐसी सीढ़ी है,
ज्ञान अनुभव पाती नयी पीढ़ी है।
मां-बाप के साथ दादा-दादी का प्यार,
नूतन स्वप्नों-कथाओं का संसार।
गांव बने आधार यह हैं,
शहरी समझते भार यह हैं।
देखने में किन्चित न महत्वशाली,
हृदय समाज का आज यह हैं।
मूल भारत अभी गांवों में बसता,
किसान और जवान गांव ही जनता।
महुए की सुगन्ध कहीं गाती कोयल,
भटका कहीं मन गांवों में रमता।
वट वृक्ष दादा कोंपल सा बच्चे,
टहनी मां-बाप अनुभव से अधकच्चे।
साथ रहना मिलना सदैव सुखकारी,
सभी के हितैशी बनते हैं सच्चे।

 

 

शशांक मिश्र ’भारती’

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