Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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शशांक मिश्र ‘‘भारती के होली पर हाइकु

 

1ः-
दूध में मधु
सा,काश! घुल पाते
इस होली में।

2ः-
रंग अनेक
बना देती है एक,
होली आकर।

3ः-
कांपे न धरा
उजड़े नहीं घर,
ऐसी हो होली।

4ः-
प्रेम का रस
सभी में है घोलती,
आकर होली।

5ः-
रंगों का पर्व
हंसी दे सबको,
हो भाईचारा।

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