1ः-
दूध में मधु
सा,काश! घुल पाते
इस होली में।
2ः-
रंग अनेक
बना देती है एक,
होली आकर।
3ः-
कांपे न धरा
उजड़े नहीं घर,
ऐसी हो होली।
4ः-
प्रेम का रस
सभी में है घोलती,
आकर होली।
5ः-
रंगों का पर्व
हंसी दे सबको,
हो भाईचारा।
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1ः-
दूध में मधु
सा,काश! घुल पाते
इस होली में।
2ः-
रंग अनेक
बना देती है एक,
होली आकर।
3ः-
कांपे न धरा
उजड़े नहीं घर,
ऐसी हो होली।
4ः-
प्रेम का रस
सभी में है घोलती,
आकर होली।
5ः-
रंगों का पर्व
हंसी दे सबको,
हो भाईचारा।
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