शशांक मिश्र भारती
शिक्षा.संस्कार धन मनुष्य के
जीवन की अनुपम शान हैं
स्वर्णिम भविष्य के मोहक पथ
प्रगति के अनोखे वरदान हैं।
शिक्षा से ही जन्म हुआ है
इस धरा पर नये विकास का
प्रपंचों से छुटकारा लिया है
नूतनए शान्ति और उल्लास ने
शिक्षा.संस्कार प्रेरणा हमारी
हम सब के ही सम्मान हैं
नये विकास की ज्योति जगाई
इनने ही है सर्वदा
कण्टकों में प्रवाहित हुई
सुगन्धित पुण्य की नर्मदा
शिक्षा.संस्कार समाज के रक्षक
जिनके लक्ष्य परम महान हैं।
ये वरदराज को सुधार कर
वैयाकरण विद बनाते हैंए
समाज में नया सबेरा लाकर
फैला अन्धकार मिटाते हैं।
शिक्षा.संस्कृति प्रकृति के पारस
यही पवित्र ज्ञान.विज्ञान है
हम सबका कर्तव्य यही है
दिन.दिन इनको आगे बढ़ायें
हर पल नयी पताका इनकी
अपने.अपने श्रम से फहरायें।
यही हैं ज्ञान के सागर
यह भी एक विज्ञान हैं
शिक्षा.संस्कार धन मनुष्य के
जीवन की अनुपम शान हैं।
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