चल होली खेलें यार। चल ख्वाब रंगे इस बार।।
मस्त-मस्त चले फागुनी बयार। बड़े बुजुर्ग भी हैं तैयार।।
कंटीले टाह पर आई बहार। सृष्टि लीला न्यारी है यार।।
देवर-भाभी में गठा गुलाबी वार। इस बार होली रहे यादगार।।
वसंती बावली शीतल बयार। चल मस्ती मार लें यार।।
वसंती राग पर नाचते भौंरे। फाग ठंडई घोलते छोरे।।
रग-रग में हैं रीत का ज्वार। मिट गया उंच-नीच का बंधन यार।।
कण-कण से है उठा गुब्बार। सूब जमी रंगीली फुहार।।
गांव की गोरी का देखो निखार। पति राह रही निहार।।
चुनावी रंग भी घुला इस बार। बहुरंगी हुए नेता हजार।।
चल होली खेलें यार। चल ख्वाब रंगे इस बार।।
By Shashikant Sushant
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