आम आदमी पार्टी की विश्वसनीयता खतरे में
शशिकान्त सुशांत
आम आदमी पार्टी के ताजा सेक्स टेप को लेकर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की शुचिता और सदाचारिता की राजनीतिक इबारत लिखने का सपना मिनटों में ढह गया है। अब केजरीवाल के शब्दों में पैनीपन की जगह मायूसी और अफसोस हैं। जो बुद्धिजीवी इस पार्टी और सरकार को आंदोलन और शुचिता की पार्टी कहते नहीं थकते थे उनके शब्दों से तीखे वाण निकल रहे हैं। बुद्धिजीवी वर्ग में एक अलग छवि बना चुकी पार्टी के लिए अब सफाई देने के लिए भी कुछ नहीं बचा है। इसके पहले तो आम आदमी पार्टी के नेता जिन मामलों में जेल जाते रहे हैं उसमें छेडख़ानी का तो मामला होता था लेकिन इस बार पूरी फिल्म ही अलग है। सफाई देने का समय भी नहीं बचा है। पंजाब, गुजरात और गोवा में एक विकल्प के तौर पेश करने के प्रयास को भी गंभीर झटका लगा है। झटके पर झटके खा रही आम आदमी पार्टी को स्वपरीक्षण के दौर से गुजरना होगा। जरूरी नहीं है कि इसके सभी विधायक आंदोलन और शुचिता की भट्टी में तपे हैं क्योंकि हरेक पार्टी का अपना अलग सिद्धांत उसे अलग दिखने की अपेक्षा रखता है, आप भी उसी अपेक्षा के भंवर जाल में उलझी हुई है। दिल्ली में आप की हवा जिसे टिकट मिला वह जीत गया, लोगों ने अरविंद केजरीवाल को वोट दिया था किसी विशेष विधायक के चेहरे को नहीं। लोगों के सामने व्यवस्था और राजनीतिक माहौल बदलने का खाका खींचा गया था, मोदी से पंगा लेकर केजरीवाल ने यह साबित करने की कोशिश की है कि वह व्यवस्था बदलना चाहते हैं लेकिन मजबूर हैं? यह तथ्य बुद्धिजीवी वर्ग को पता है कि जिस तरह से केजरीवाल व्यवस्था बदलने की कोशिश करना चाहते हैं वह संविधान से मेल नहीं खाती इसलिए हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में केजरीवाल को मुंह की खानी पड़ रही है, फिर भी रिट याचिकाएं डाली जा रही हैं। जिस क्षेत्र में सरकार को कानून बनाने का अधिकार नहीं है उसी क्षेत्राधिकार में कानून बनाकर यह दिखाने की कोशिश की जा रही है कि हम व्यवस्था को बदलने जा रहे हैं।
तो यह पटकथा समर्पित है उस शुचिता और सदाचारिता की गंगा बहाने वाली राजनीतिक धारा का जो साल डेढ़ साल में ही ऐसे गंदे नाले में तब्दील हो गई कि अब पार्टी संस्थापक को भी यह कहना पड़ा कि इससे आंदोलन को धक्का लगा है? अब तक यही लोगों की सोच यही थी कि इस पार्टी ने सत्ता बदलते ही जिन लोगों को मंत्री बनाए वे फर्जी डिग्रीधारी हो सकते हैं, बेवजह दंगा फंसाद कराने वाले हो सकते हैं, महिलाओं के साथ छेडख़ानी करने वाले हो सकते हैं और इन सभी मामलों में जेल जाकर यह साबित कर सकते हैं कि वे कानून का पालन भी करते हैं? हजारों ख्वाहिशों को दिल में जज्ब किए दिल्लीवासियों को जो सुखद आभास हो रहा है वह यह कि आंदोलन के गर्भ से निकली पार्टी हो या नेता इस देश के इतिहास में कुछ अच्छा कर पाने का फुटनोट भी दर्ज नहीं करा पाएं हैं। आपको याद होगा 1977 के आंदोलन से निकले लालू यादव के बारे में देश में नए-नए घोटालों का जन्मदाता साबित हुए। उनके 15 साल के राज में पता नहीं बिहार में कितने घोटाले हुए इसकी गिनती करना भी आसान नहीं है? चारा से लेकर अलकतरा और साड़ी टोपी से लेकर मिट़टी गिट्टी सब तरह के घोटाले हुए जिसकी जांच अभी भी चल रही हैं। चारा घोटाले के एक मामले में दोषी करार दिए जा चुके है लालू यादव, चुनाव लडऩे पर 11 साल की रोक है।
यह बातें प्रसंगवश इसलिए कहनी पड़ी क्योंकि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जिस तरह की राजनीतिक इबारत लिखने का दावा दिन प्रतिदिन करते रहते हैं वह प्याज के छिलके की तरह उनके मंत्रियों-विधायकों के माध्यम से रोज ब रोज लोगों के पास चटकारे लेकर पहुंच रही हैं। तिहाड़ की सैर करने की होड़ लगी है आप के नेताओं में। अब तक जो कुछ बचा था वह संदीप कुमार ने पूरी कर दी। इस घटना ने आम आदमी पार्टी की विश्वसनीयता को ही कटघरे में खड़ा कर दिया है। पार्टी कुछ करे या न करें कम से कम जिस महिला सुरक्षा और उत्थान की बड़ी बड़ी बातें केजरीवाल करते रहते थे वह अब नहीं कर पाएंगे? शायद यही मलाल होगा उनके कथन में जब वह प्रेस कांफ्रेंस में बोल रहे थे? उस मंत्री के बारे में क्या कहा जाए जो महिला दिवस के अवसर पर अपने संबोधन में यह कहकर लोगों को सोचने पर बाध्य कर दिया था कि वह रोज अपनी पत्नी का पैर छूते हैं? हालांकि जब हांडी फूटी तो उसी का इवेंट मैनेजर ने यह भांडा फोड़ दिया कि वह तो अपनी पत्नी से गाली गलौज किया करते थे? किसे सच और किसे झूठ माना जाए यही हमारी परेशानी है खासकर उस आम आदमी की जो राजनीतिक व्यवस्था को बदलने के साथ ही सरकार बदलने का जनादेश उस पार्टी को थमा दिया था जिसके पास आज इस बात का जवाब नहीं है कि आखिर उसका एक मंत्री ऐसा भी है? आने वाले दिनों में पार्टी को अपनी विश्वसनीयता को लेकर ही लोगों के बीच सफाइयां पेश करनी होगी। अब इन सफाइयों पर लोगों का दिल पसीजेगा या नहीं यह तो समय बताएगा लेकिन पंजाब और गोवा में बनी बनाई हवा के बिगडऩे का खतरा है। शुचिता और नैतिकता की बात अब किस मुंह से करेंगे केजरीवाल? खबर तो यह भी तेजी से फैल रही है कि इस सीडी को 15 दिनों तक दबाए रखा गया था। जिस तरह अरविंद केजरीवाल सत्ता पाने के बाद अपनी गलतियों को छिपाने के लिए दूसरों पर दोषारोपण की राजनीति करते रहे हैं वह संदीप कुमार के सेक्स टेप कांड ने उल्टा उन्हीं पर व्यंग्य वाण की तरह चुभने लगी हैं। यह समय का ही अंतर है कि दो साल के अंदर ही सरकार की नाकामियों की कलई खुलकर सामने आ गई। सरकार किसी भी मोर्चे पर अपने को सफल कहने का साहस नहीं जुटा सकती? सिवाय इसके कि मोदी और नजीब जंग को रोजाना भरपेट गालियां सुनाने के। इन गालियों ने तो आम आदमी पार्टी की विश्वसनीयता को और ही गर्त में धकेला है। काम करने वाले को बाधा नहीं दिखती और बहाना बनाने वाले को राह नहीं दिखते। यह कहावत दिल्ली सरकार पर सही तरह से फिट बैठती है। राजनीति का शुद्धीकरण करके इसमें शुचिता का कड़वा तेल डालने वाले केजरीवाल को अभी आगे कितने तरह की मुसीबतों का सामना करना पड़ेगा यह तो नहीं कहा जा सकता लेकिन आंदोलन के गर्भ से निकली पार्टी और सरकार की कार्य प्रणाली और विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।
अपने मंत्री संदीप कुमार की सेक्स सीडी सामने आने से मचे बवाल पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल खुलकर बोले. केजरीवाल ने संदीप कुमार की करतूत पर निराशा जताई, लेकिन उनके खिलाफ तुरंत कार्रवाई करने के लिए वाहवाही बटोरने से भी नहीं चूके. उन्होंने वीडियो मैसेज जारी कर कहा कि हम न भ्रष्टाचार करते हैं और न बर्दाश्त करते हैं. संवाददाता सम्मेलन से जाते जाते केजरीवाल कांग्रेस और बीजेपी पर हमलावर नजर आए. केजरीवाल ने कहा कि बीजेपी और कांग्रेस अपने नेताओं के गलत काम का भी बचाव करते हैं. केजरीवाल ने कहा- बीजेपी ने शिवराज सिंह को बचाया. पंजाब में अकाली नेताओं को बचाया गया. उन्होंने कहा कि इसी कारण उनकी पार्टी बाकी पार्टियों से अलग है.
दिल्ली में आम आदमी पार्टी सरकार में मंत्री संदीप कुमार की सेक्स टेप सामने आने के बाद यूं तो घमासान पार्टी के ईर्दगिर्द ही घूम रहा है लेकिन इस बीच मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के पास सीडी और शिकायत पत्र भेजने वाले ओेम प्रकाश भी चर्चाओं में हैं. हालांकि खुद ओम प्रकाश इस बात से इनकार कर रहा है कि शिकायत उसने भेजी थी. ओमप्रकाश के नाम से एक शिकायती पत्र बुधवार शाम तक देश के नामी गिरामी न्यूज चैनलों में पहुंच चुका था लेकिन तब तक कोई ये नहीं जानता था कि ओमप्रकाश आखिर है कौन. ओमप्रकाश से भी बात की. बुधवार रात से अब तक कुल 4 बार. लेकिन ओमप्रकाश ने मानो स्क्रिप्ट रट रखी हो. बिना किसी हेरफेर और बदलाव के वो पिछली रात से वही बात दोहरा रहा है. ओमप्रकाश इस बात से भी इनकार करता है कि उसने ये सीडी बनाई है और इस बात से भी कि उसने सीडी समेत कोई शिकायती खत अरविंद केजरीवाल को लिखा था. ओमप्रकाश का बयान ये था कि 15-20 दिन पहले कुछ अनजान लोग उससे मिले थे और इस सेक्स कांड की सीडी उसे देते हुए कहा कि इसमें 'आप' के लिए कुछ दिलचस्प हो सकता है. उसने ये भी कहा कि उन लोगों ने ही इस सीडी को केजरीवाल के कैंप ऑफिस जाकर देने की कोशिश की लेकिन वहां इन लोगों की नहीं सुनी गई. इसी आधार पर उसने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को सीडी की जानकारी करीब 15 दिन पहले से ही थी लेकिन उन्होंने इस पर कोई एक्शन नहीं लिया. आखिरकार सीडी एलजी ऑफिस में जमा की गई तो मुख्यमंत्री ने आनन-फानन में मंत्री को बर्खास्त करने का फैसला किया. ओमप्रकाश का बयान बदला हुआ था. उसने कहा कि कुछ अनजान लोगों ने ये सीडी उसे 4-5 दिन पहले दी है और दो दिन पहले ही उसने ये सीडी देखी है. सीडी में पूर्व मंत्री संदीप कुमार को आपत्तिजनक हालत में देखते हुए उसने ये जानकारी कांग्रेस के पूर्व विधायक जयकिशन को दी और दोनों एलजी ऑफिस शिकायत लेकर पहुंचे. उनके एलजी ऑफिस पहुंचने के बाद केजरीवाल ने संदीप कुमार को बर्खास्त किया. अब बात जाहिर है कि जब ओमप्रकाश सीडी देने वालों को ही नहीं जानता तो भला वो उन महिलाओं के बारे में क्या बताएगा?
दिलचस्प बात ये है कि ओमप्रकाश ने न तो सीडी बनाई है, न ही वो संदीप कुमार को व्यक्तिगत तौर पर जानता है, न सीडी में दिख रही महिलाओं से उसका कोई परिचय है और सबसे बड़ी बात तो ये कि उसे ये सीडी जिसने दी है उन्हें भी ये न जानने का दावा करता है. लेकिन फिर भी मामले का शिकायतकर्ता ओमप्रकाश है. आपको बता दें कि ओमप्रकाश सुल्तानपुरी से कांग्रेस का ब्लॉक प्रमुख भी है. इसी आधार पर वो जनता के हित में इस मामले का शिकायतकर्ता होने का दावा करता है.
अपने मंत्री संदीप कुमार की सेक्स सीडी सामने आने से मचे बवाल पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल खुलकर बोले. केजरीवाल ने संदीप कुमार की करतूत पर निराशा जताई, लेकिन उनके खिलाफ तुरंत कार्रवाई करने के लिए वाहवाही बटोरने से भी नहीं चूके. उन्होंने वीडियो मैसेज जारी कर कहा कि हम न भ्रष्टाचार करते हैं और न बर्दाश्त करते हैं.
संदीप की हरकत से बेहद आहत हूं, संदीप ने पूरे आंदोलन को धोखा दिया, बैठक में संदीप कुमार पर अगली कार्रवाई को लेकर होगा फैसला, संदीप की करतूत से विश्वसनीयता पर उठे सवाल, अगर मैं भी कुछ गलत करता हूं तो मुझे भी बख्शा नहीं जाएगा, किसी के माथे पर गलत नहीं लिखा होता, मुझे दुख है कि इस तरह के लोग हमारे बीच में थे. लेकिन हमने इस तरह के लोगों की करतूतों पर पर्दा डालने की कोशिश नहीं की
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महिला का इस तरह सम्मान? एक मिसाल है !
दिल्ली सरकार में महिला और बाल विकास मंत्री संदीप कुमार हर रोज पत्नी रीतु के पैर छूते हैं. यह खुलासा खुद उन्होंने किया है. 8 मार्च को महिला दिवस के मौके पर दिल्ली सेक्रेटेरियट में आयोजित कार्यक्रम के दौरान उन्होंने अपनी पत्नी का शुक्रिया करते हुए कहा, 'मैं हर रोज इनके पैर छूता हूं.'संदीप कुमार ने कहा कि जब से उनकी शादी हुई है तब से वो ऐसा करते आ रहे हैं. आशीर्वाद के तौर पर उनकी पत्नी 'खूब तरक्की करो' कहती हैं. लेकिन ज्यादातर वो बस मुस्कुरा देती हैं. संदीप कुमार और रितु ने 5 अप्रैल 2011 को लव मैरेज की थी गौरतलब है कि जिस हरियाणा से संदीप कुमार ताल्लुक रखते हैं वहां 2011 सेंसस के आंकड़ों के अनुसार सबसे कम फीमेल सेक्स रेशियो है. ऐसे में सारंगथाल गांव में पले बढ़े संदीप कुमार का पत्नी को इस तरह सम्मान देने का तरीका एक मिसाल है?
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