Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

ऐसे ही

 

 

ऐसे ही हम क़रीब नही आ गए होंगे,
रब ने ही यूं तकदीर बनाई हुई होगी...

ऐसे ही हम बाँहों मे समाये नही होंगे,
किस्मत ने वजह ज़रूर कोई पाई हुई होगी...

ऐसे ही हम ने अपनी बीती को बताया नही होगा,
हमदर्द बन के तुम जब तलक नही आयी हुई होगी...

ऐसे ही दिल की गहराईओं में तुम समाई नही होती,
कोई तो तेरी बात दिल को मेरे लुभाई हुई होगी....

ऐसे ही मेरे पास चली आओ तुम एक दिन,
वरना ये ज़िंदगी मेरी ऐसी ही गंवाई हुई होगी.........!

Powered by Froala Editor

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ