Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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"बरसात हो"

 
"बरसात हो"
 "काश" आज फ़िर ऐसी झूम के बरसात हो , उनसे फ़िर एक हसीन दिलकश मुलाकात हो , इस कदर मिलें तड़प के दो दिल आज की, धरकनो पे न कोई अब इख्त्यार हो …..  एक एक बूंद से सजी सारी कायनात हो , आगोश मे फ़िर मेरी शरीके -हयात हो , खामोश लबों के दास्ताँ मौसम भी सुने , निगाहों मे मोहब्बत ऐ -सूरते -बयाँ हो 

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