कैसे करूं"
शब्दों मे बयान कैसे करूं , दर्दे दिल का नीबाह कैसे करूं ,
जो अश्क का दरिया जम सा गया , आंखों से उसका कैसे बहा करूं ???
ना सुकून मिले , ना चैन कहीं , ना दिन हो मेरा ना रैन कहीं ,
अब दिल को क्या समझाऊं मैं , पल पल की बेचनी कहाँ रफा करूं ???
सब बिखर गया . सब उजड़ गया , कुछ भी तो मेरे पास नही ,
दिल जल कर ऐसा ख़ाक हुआ , अब क्या लाऊं और क्या तबाह करूं ????
तेरी बातों पे तेरे वादों पे बंद आँखों से मैंने क्यों इतना किया यकीन,
तुझे चाहने से भी ज्यादा बढा लगे , अब और ऐसा मैं क्या गुनाह करूं ???
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