सुनो जाना
बहुत कुछ तुमसे कहना है
नहीं अब चुप सा रहना है
अज़ब जज़्बात हैं दिल में
नये नगमात हैं दिल में
अज़ब सी एक तमनना जो
हमारे दिल में पलती है
मचलती है छलकती है
हुमक कर बाहें फैलाती
वो जैसे....
कोई नादान बच्ची हो
कभी आँसु छलकते हैं
कभी एक खोफ़ तारी है
किसी को क्या बताएँ हम
हमारा दिल नहीं लगता
हमारे मन के सागर में
नई मोंजें उभरती हैं
नए तुफ़ान आते हैं
हमारे दिल के आँगन में
यही मेहमान आते हैं
हुआ है क्या अजब हम को
है दिल में ज़ख्म भी ऐसा
कोई मरहम नहीं जिसका
असर की बे यकीनी से
दुआ भी कांप जाती है
कोई दरमान नहीं मिलता
कोई चारा नहीं मिलता
सीमा गुप्ता
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