मै डरती हूँ मै जानती हूँ ......... मेरे खत का उसे इंतजार नही मेरे दुख से उसे सरोकार नही , मेरे मासूम लफ्ज उसे नही बहलाते मेरी कोई बात भी उसे याद नही. मेरे ख्वाबों से उसकी नींद नही उचटती मेरी यादो मे उसके पल बर्बाद नही मेरा कोई आंसू उसे नही रुलाता उसे मुझसे जरा भी प्यार नही कोई आहट उसे नही चौंकाती क्योंकि उसे मेरा इन्तजार नही मगर मै डरती हूँ उस पल से जब वो चेतना में लौटेगा और पश्चाताप के तूफानी सैलाब से गुजर नही पायेगा ...जड हो जाएगा मै डरती हूँ ....बस उस एक पल से
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