Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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" मेरी उम्मीदों को "

 

ज़िंदगी की उदास राहों में,
कोई एक राह तो ऐसी होगी,
तुम तक जो मुझे लेके चली आयेगी ...
इन बिखरते ओर सम्भालते हुए लम्हात में ,
एक कोई लम्हा भी तो ऐसा होगा,
तेरी खुशबू मुझे महका के चली जायेगी........
ये मोहब्बत के जूनून का ही असर हो शायद ,
तेरे आने की ही आहट कुछ ऐसी होगी,
मेरी साँसों की जो रफ़्तार बढ़ा जायेगी...........
मेरी पल पल की दुआओं में,
कोई एक दुआ तो होगी,
तेरे दरबार में मकबूल करी जायेगी.......
तूने जो मेरी मोहब्बत के लिये होंगे लिखे,
उन्हीं फूलों से एक बार ज़रूर,
खुशबुओं से मेरी आगोश भरी जायेगी........
मैने आवाज़ दुआओं की उठा रक्खी है,
तेरे दरबार में उम्मीद सजा रखी है,
"मेरी उम्मीदों को नाकाम ना होने देना"

 

 

 

सीमा गुप्ता

 

 

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