Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

मोहब्बत मोम होती है

 

सुना है उसकी आँखों से

हमेशा बर्फ गिरती है

वो जब खामोश होती है

क़यामत काँप जाती है

वो अपने पावं के छालों पे

मरहम भी नहीं रखती

वो अपने जिस्म -ओ - जां में

इश्क़ की सरहद नहीं रखती

उसे मतलब नहीं

बाम-ए-फ़लक के चाँद तारों से

उसे तो रब्त है

सदियों पुराने ग़म गुसारों से

कोई तो उसको समझाए

मोहब्बत मोम होती है

कभी ऐसा भी होता है

मोहब्बत में

मोहब्बत से

मोहब्बत टूट जाती है

मोहब्बत मोम होती है

मोहब्बत मोम होती है ......

 

 

 

सीमा गुप्ता

 

Powered by Froala Editor

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ