सुना है उसकी आँखों से
हमेशा बर्फ गिरती है
वो जब खामोश होती है
क़यामत काँप जाती है
वो अपने पावं के छालों पे
मरहम भी नहीं रखती
वो अपने जिस्म -ओ - जां में
इश्क़ की सरहद नहीं रखती
उसे मतलब नहीं
बाम-ए-फ़लक के चाँद तारों से
उसे तो रब्त है
सदियों पुराने ग़म गुसारों से
कोई तो उसको समझाए
मोहब्बत मोम होती है
कभी ऐसा भी होता है
मोहब्बत में
मोहब्बत से
मोहब्बत टूट जाती है
मोहब्बत मोम होती है
मोहब्बत मोम होती है ......
सीमा गुप्ता
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