"तन्हाई" काँटों की चुभन सी क्यों है तन्हाई, सीने की दुखन सी क्यों है तन्हाई, ये नजरें जहाँ तक मुझको ले जांयें , हर तरफ बसी क्यों है सूनी सी तन्हाई, इस दिल की अगन पहले क्या कम थी , मेरे साथ सुलगने लगती क्यों है तन्हाई आंसू जो छुपाने लगता हूँ सबसे , बेबाक हो रो देती क्यों है तन्हाई तुझे दिल से भुलाना चाहता हूँ , यादों के भंवर मे उलझा देती क्यों है तन्हाई एक पल चैन से सोंना चाहता हूँ , मेरी आँखों मे जगने लगती क्यों है तन्हाई तन्हाई से दूर नही अब रह सकता, मेरी सांसों मे, इन आहों मे, मेरी रातों मे, हर बातों मे, मेरी आखों मे, इन ख्वाबों मे, कुछ अपनों मे, कुछ सपनो मे , मुझे अपनी सी लगती क्यों है तन्हाई ????
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