Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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वस्ल के परिंदे

 

 

 

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उसकी शीरीं बातों की
टहनियों पर
वस्ल के परिंदे चहकेंगे
और .....
बेपनाह इश्क के नग़मे
इस फ़िज़ा मे गूंजेंगे...
हिज्र की सियाह रातों में
जुगनू से रक़्स करते अश्क
ढलक आएँगे लबों के
तपते रेगज़ारों तक...
ज़मज़मे मोहब्बत के
अपनी पलकों को मूंदे
ऐसी नींद सोएंगे
जो ख्वाब से परे होगी...
जो ख्वाब से परे होगी....

 

 

 

सीमा गुप्ता

 

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