ईश्वर से बिछुडी आत्मा का सुखद सँयोग ,सम्भोग प्रकृति के सन्ग भरता नई उमन्ग हुआ कोमल भावनाओ का जन्म जो मिल गई हृदयासागर मे बन कर तरन्ग बहे भाव सरिता की भान्ति एकाकार ,निश्चल,निश्कपट निरन्तर प्रवाहित सुविचार चक्षुओ पर प्रहार सोच पर अत्याचार और बन गया कलाकार ***************************************
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