तोता मैना की लव स्टोरी
एक था तोता , एक थी मैना
बहुत कुछ हुआ पर कुछ भी ना कहना
सीधा साधा सा वो तोता ,
देख हुआ मैना , मतवाला
green green सा दिखने वाला
लाल हुआ तोता जब साला
समझ गयी जब मैना रानी
प्यार करने की आयी जवानी
नज़रे मिली और प्यार हुआ ,
और देखते ही देखते इकरार हुआ
क्या मैं कहुं , क्या तुम कहो
जो भी हुआ बस देखते रहो
एक था तोता , एक थी मैना
बहुत कुछ हुआ , पर कुछ भी ना कहना
प्यार की जब समझ मैं आयी
बात ये अब शादी पे आयी
बुजुर्गो ने बैठक बुलवाई
शादी की फिर जगह सुघाई
खर्च कुभ करने का सोचा
तोता इकलोता जो ठहरा
तोते की माँ भी ठर्रायी
मांग पे मांग उसने करवाई
मैना का बाप सभ कुछ फिर माना
बैटी क आगे बेबस जो ठहरा
समझा बुझा के मगनी करवाई
शादी की फिर की अगुवाई
एक था तोता , एक थी मैना
बहुत कुछ हुआ , पर कुछ भी ना कहना
खुशियों क दिन रात थे आये
मैंने को खूब सपने दिखलाये
पर तोते की थी अलग ही लड़ाई
दहेज़ दहेज़ से उसे चिड थी आयी
मगनी तक तो ठीक था भाई
पर अब बिना दहेज़ ही बनेगा जवाई
तोते की माँ के सपने थे टूटे
दिन रात उसने जो थे देखे
ऑडी छोड़ मारुती ना मिलेगी
बीते को बुद्धि यूँ जो फिरि थी
मैंने के बाप पे गर्व था छाया
दामाद को देख सीना फुल आया
एक था तोता , एक थी मैना
बहुत कुछ हुआ , पर कुछ भी ना कहना
तोते के घर में क्लेश था आया
रोज झगडा का schedule था छाया
तोते का बाप भी अपसेट था बड़ा
कर्चा जो सामने था खड़ा
फिर मीटिंग पे मीटिंग बुलवाई
दोनों साइड पे टेंशन थी छाई
एक और जिद्दी था तोता
दूसरी और खर्चा था मोटा
फिर ससुरजी ने एक बाद सुझाई
क्यूँ ना खर्चा आधा करले भाई
येह सुन फिर चमक थी छाई
और उनकी तो हैप्पी वेडिंग हो गयी भाई
एक था तोता एक थी मैना
बहुत कुछ हुआ. पर कुछ भी नहीं कहना
Siddharth Agarwal
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