प्रश्नों को टाँगने के लिए एक करील दे। ईसा मसीह के सीने की ठुकी हुई कील दे।। कब्रों पे चादर चढ़ाने से क्या फायदा। श्रद्धा हेतु मुझे आँसुओं की झील दें। ज़िन्दगी के दामन पे नजर न आए दाग। लाकर हमें कोई ऐसी उज्जवल नील दे। इंसां का फैसला हो इंसां की अदालत में इंसानियत वाला हमें निःस्वार्थ वकील दे। हरेक बेटा निकल जाय कपूत-सा उससे भला गोद में कोई एक कन्या सुशील दे।। पहुँचा दे मंजिल पे हमें पगडण्डी दिखा दे। वक्त पे ऐसा कोई टिमटिमाता कंदील दे।। देख के परिंदा जब उड़ान भरना सीखे। गगन में उड़ती हुई ऐसी एक चील दे।। नहीं हो मुसाफिर को अंदाज दूरी का तब। थकान पूछने के लिए मंजिल का मील दे।।
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